• Home
  • About
  • Blog
  • Courses
  • Pages
  • Contact
  • Log In
  •     Back
  • Profile
  •     Back
  • Aceline Academy

    Welcome back, please login to your account.

    Create your account

    Your account is your portal to all things

    By signing up, you agree to our Terms of Use and Privacy Policy.

    online academy

    Reset Your Password

    Please provide the Email ID you used when you signed up for your account.
    We will send you a Link to reset your password.

    क्यों कहते हैं हिंदुत्व को सनातन धर्म?

    Darshan

    Beautiful vintage aircraft

    अक्सर इस सवाल को उठाया ही जाता है कि हिंदू धर्म को सनातन क्यों कहते हैं? क्या है इस सनातन का असली अर्थ? सनतानी रहस्य का चोला आखिर हिंदुत्व व्यवहार को ही क्यों प्राप्त है क्या हिंदू धर्म की कोई उत्पत्ति विषयक व्याख्या हो भी सकती है!

    ज्यादातर धार्मिक प्रसंगों की टिप्पणियों के दौरान सनातन का मतलब समझाने को भी कहा जाता है और इसके प्रसंगों को समझने की पुरजोर कोशिश भी की जाती है। किंतु पूर्वाग्रह अक्सर इसका सही जवाब देने से रोक देते हैं। आज हम इसी सवाल को थोड़ा गहराई से समझने की कोशिश करेंगे।  

     

    सनातन का शाब्दिक अर्थ तो जगजाहिर है। इसका सामान्य रूप से मतलब होता है ‘जो हमेशा से मौज़ूद रहा है’ यानि जिसकी उत्पत्ति और जन्म से किसी का कोई सरोकार न हो और वह वस्तु या व्यक्ति या सिद्धांत नित्य हो। यानि अजन्मा जैसा धर्म या जीवन पद्धति, जिसके विकास की धारा अनवरत रही हो। आप किसी भी एक ऐसे देवता का नाम नहीं ले सकते, जो हिंदू सनातन परंपरा का जन्मदाता हो। ऐसा कोई शख्स ये दावा नहीं कर सकता कि उसने अपने प्रयत्नों से सनातन धर्म का निर्माण किया हो।

     

    दुनिया के सभी धर्म किसी न किसी व्यक्ति की विचारधारा से उद्भूत हुए हैं। इस्लाम, क्रिश्चियनिटी, बुद्धिज्म, जैनिज्म, जरथुस्त्रियन, पारसीक आदि धर्मों की मान्यताएं मूलतः किसी न किसी पैगंबर या ईश्वरीय दूतों के संदेशों पर निर्भर करती हैं। अकाट्य रूप से उनसे जुड़े सिद्धांत उस दूत विशेष की क्रियाविधि से प्रभावित होते हैं, उनकी जीवनशैली ही इनके लिए आधारबिंदु का कार्य करती है।    

     

    किंतु यही बात सनातन परंपरा पर बिल्कुल भी लागू नहीं होती। ये एक प्रवाहमय विचारधारा, सरल जीवन पद्धति, नैरंतर्य की सरिता के समान विशाल और गहरी है। न आदि न अंत, अविनाशी, उस सर्वशक्तिमान के समान अजेय और निरंतर है........   

    Ready to start learning? Contact us!

    Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Nulla sed tincidunt velit. Donec bibendum turpis.